
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इन दिनों आयुर्वेद कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय रायपुर कायचिकित्सा विभाग द्वारा छह दिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम आयोजित है। बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में संयोजक प्रोफेसर डा. अरूणा ओझा ने बताया कि तीन दिवस प्रोफेसर डा. एसके शर्मा जयपुर, राजस्थान, प्रोफेसर डा. डीके तिवारी, सेवानिवृत्त प्राचार्य व वरिष्ठ चिकित्सक रायपुर, प्रोफेसर डा. रंजीप कुमार दास, पंचकर्म विषेशज्ञ, रायपुर अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
प्रोफेसर डा. एसके शर्मा ने आटोइम्यून व्याधियों के निदान, चिकित्सा व एंडोक्राइनोलाजी का आयुर्वेद मतानुसार निदान कहा कि धात्वाग्निमांद्य होने के कारण आटोइम्यून व्याधियों की उत्पत्ति होती है। इसकी चिकित्सा के लिए औषधि के रूप में पिप्पली, भल्लातक, चित्रक, शिलाजित के उपयोग फायदेमंद है। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी बताया कि सत्व किसी भी रोग से लड़ने में सहायक होता है। इसके उपयोग से किसी भी रोग में फायदा मिलता है।